वो क्यों नहीं मेरी हुई
वो क्यों नही मेरी हुई
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आखिर कहाँ देरी हुई,
वो क्यों नहीं मेरी हुई।
मंजिल पहुँच पाए नहीं,
पर कोशिशें बहुतेरी हुई।
हम हार कर टूटे हुए,
महफ़िल सनम तेरी हुई।
दिल से पुकारा आपको,
पर अनसुनी हेरी हुई।
लाचार मनसीरत हुआ,
साबित अन्त फेरी हुई।
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सुखविंद्र सिंह मनसीरत
खेड़ी राओ वाली (कैथल)