वो क्या बनाएंगे मुझको
वो क्या बनाएंगे मुझको
जो अपनी तकदीर बना ना सके।
वो क्या समझ पाएंगे दर्द मेरा
जो रोटी का टुकड़ा गवा ना सके।
वो क्या बनाएंगे मुझको
जो खुद धोखेबाज से धोखा खा गए।
वो क्या रुलायेंगे मुझको
जो अपना एक अश्क छुपा ना सके।
वो क्या बनाएंगे मुझको
जो मिल गए इस दुनियांदारी में
वो क्या निभाएंगे मुझको
जो बिक गए मोल भाव सरकारी में।
तनहा शायर हूँ