“वो कलाकार”
“वो कलाकार”
हर किरदार में खुद को ढालता
रात दिन की ना परवाह करता
खुश है लेकिन आंसू निकालता
नित रंग बदलता वो कलाकार है,
जरूरत हो जब बूढ़ा बन जाता
कभी बच्चा बन सबको हंसाता
नर – नारी दो भूमिका निभाता
नित रूप बदलता वो कलाकार है,
हमारी उदासी को दूर वो भगाता
मायूस मन को ऊर्जा से भरता
तरह तरह की कलाकारी करता
सबको हंसाता वो कलाकार है,
हृदय के गम को अंदर छुपाता
पर्दे पर लेकिन वो तो मुस्कुराता
सबकी आंखो का तारा बन जाता
मनोरंजन का पिटारा कलाकार है।