वो एहसास दिलाकर देखो ना…!!
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कच्चे धागो से नहीं खून के जज्बातों में सना हैं रिश्ता हमारा,
कभी सच्चे मन से अपना बनाकर देखो ना…!!
ताने सुन-सुनकर मेरे कान पक गए हैं,
कभी अपना समझ के मुझे मुस्कुराकर बोलो ना…!!
बहुत सुना हैं औकात, हैसियत के बारे में,
रिश्तों से इन मतलबी शब्दों को हटाकर देखो ना…!
मानता हूँ जिंदगी में पैसों के अपने मायने है,
दिल के रिश्तों से पैसों के बोझ घटाकर देखो ना…!
बहुत गुरुर हो शायद तुम्हें तुम्हारी शान -ओ -शौकत पर,
जो मानते हैं तुम्हें अपना, उन्हें गले से लगाकर देखो ना…!
यूँ तो हम पर हक़ जताना जानते हो तुम,
कभी जरुरत पड़ने पर बिना पूछे साथ निभाकर देखो ना…!
नाराज़गी झलक पडती हैं ज़ब करते हो नज़रअंदाज़ हमें,
बहुत जल्दी मान जाता हूँ कभी हमें मनाकर देखो ना…!
कोई उम्मीद नहीं ज़माने से कि वो पूछे हाल दिलों के,
तुम अपने से लगते हो ज़रा ऐतबार जताकर देखो ना…!
बात इतनी बढ़ गयी, कि मसला.. मलाल बन गया,
एक राय की तो बात है, एक दफ़ा हमसे लेकर देखो ना…!
कोई नुमाइश नहीं रही अब किसी से, कि.. कोई साथ दे मेरा,
फिर भी एक दफ़ा अपना मानकर, मुझे समझाकर देखो ना…!
मुझे लगता था कि… मैं अपने घर का सबसे लाड़ला बेटा हूँ,
प्लीज… मुझे फिर एक दफ़ा… वो एहसास दिलाकर देखो ना…!!
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❤Love Ravi❤