वो इक नदी सी
वो इक नदी सी……
वो इक नदी सी अल्हड़
इक हिरनी सी चंचल
सहज सी कभी प्रमुदित
प्रखर किरणों संग उदित
कभी सरल कहीं निरुपम
उपहार इक अनुपम
चित मनोरमय एवं सुगम
काया कोमल मृदुल
प्रेम,करुणा का सागर
रक्तिम कभी उज्ज्वल
ढली जब नए परिवेश
अवतरणिका विशेष
वामा,भगिनी तनुजा
रूप निरन्तर नवीन
माँ कभी पथप्रदर्शक
अनुगामिनी पिया संग
जानकी,अहिल्या,मनु
अतुलनीय योगदान
नारी शक्ति इक महान
इनसे वतन की शान।।