वो आज भी इस बात से बेखबर है
वो आज भी इस बात से बेखबर है
मेरी तन्हा राहों के वो हमसफ़र है
शहर में जल रही आग की कहाँ फ़िक्र है
आब की तलाश में भटक रहा पूरा शहर है
उनकी तलाश में हम भी रहगुज़र है
अब बची ज़िन्दगी बस एक पहर है
उनकी यादों के बस इतना कहर है
राख हो रही ज़िन्दगी उनका शहर है
तब्बसुम है उनकी ख़लिश में शहर है
अश्कों में डूबा आज पूरा शहर है
लगता है ये मजनुओं का शहर में
आज ज़हीर के हाथ में देखा ज़हर है
भूपेंद्र रावत
5।11।2017