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18 Jul 2021 · 1 min read

वो आए थे हमसे मिलने

वो आए थे हमसे मिलने बातें तो करने
कुछ मेरी सुनने कुछ उनकी बुनने

वक्त की मजबूरियों ने बांध रखा
वरना कौन हमको कब रोक सका

हम मिल ना सके तुमसे
तुम हाल अपना बयां ना कर सके हमसे

तुम साथ हो तो कंकड़ भी पुष्प जैसे लगते हैं
जो तुम दूर तो पुष्प भी कांटों की तरह चुभने लगते हैं

मेरे ना होने से दिन तो तुम्हारा भी नहीं डालेगा
तुम दीपक मैं बाती इन बिन फिर दिप कैसे जलेगा

तुम रूप में तुम्हारी अनुक्रती
पंख पखेरू उड़ा आऊँ बस तुम्हारी हो स्वीकृति

रचियता मंगला केवट होशंगाबाद मध्य प्रदेश

Language: Hindi
1 Like · 1 Comment · 479 Views
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