वो आँखें
मुश्किल भरे सवालों का
जवाब थीं वो आखें
सुकून थी एक मरहम
नायाब थीं वो आँखें ,,,
हम सबके सपनों का
मजबूत ठिकाना थी
सपने बेघर और अब
ख्वाब हैं वो आँखें ,,,
हम पर उनके ज़रिये
खुदा का पहरा था
कभी पलक नहीं झपकी
खास थीं वो आँखें ,,,
बिन बोले जाने कितनी
वो बातें करती थीं
रोम रोम पर अब भी
एहसास हैं वो आँखें ,,,
अक्सर उन आंखों की
तलाश में रहती हैं
बेचैनी ओढे बैठीं हैं
पास ये मेरी आँखें ,,,
आँखों से आंखों का
रिश्ता बेहद गहरा था
अब भी दिल का मेहमां
मेरी आस हैं वो आँखें ,,,
हमने उन आँखों में
कभी खौफ़ नहीं देखा
जीने का प्यारा सा
अंदाज थी वो आँखें ,,,
जब सुन्दर आंखों की
बात कोई करता है
मुझे नज़र आती हैं
सबसे पास वो आँखें,,
स्नेह का दरिया बन
समा चुकी धड़कन में
इश्वर संग होने का
आभास हैं वो आँखें ,,
– क्षमा उर्मिला