वो अब सताने लगें है सपनो में भी आने लगे है
वो अब सताने लगें है
सपनो में भी आने लगे है
वादें तो आसमाँ से चाँद तारे तोड़ लाने के थे
झूठा अब वो हमें बताने लगे है
जब से दिल लगा बैठे है गैरों से
आब भी आँखों से आने लगे है
पसन्द है उन्हें लोगों के बीच मशहूर रहना
अब तो जाम भी लबों पँर लगाने लगे है
जब शराब ही रास्ता है तन्हाइयां मिटाने का
तब से प्याला हम भी आज़माने लगें है
मशगूल है वो अपनों की बस्ती में
वो अपने साए को भी गैर बताने लगें है
ये उनकी मासूमियत है या जमाने का फ़साना
क्यों उनके पीछे सब आने लगे है
झूठे वादें, झूठे किस्से सब दो दिन के मेहमान है
जीत कर खुद को ईद का चाँद वो बताने लगे है