वो अजनबी झोंका
ये कौन सा हवा का झोंका था ? जो मुझे छू गया ,
सोते दिल में इक एहसास सा जगा गया ,
कुछ भूले-बिसरे लम़्हों की याद दिला गया ,
ज़ेहन में धुंधली पड़ी तस्वीरों को साफ कर गया ,
दिल में इक अजब सी लहर उठा गया ,
सोज़ ए -दिल की इक चिंगारी सी भड़का गया ,
इस कशमकश भरी ज़िंदगी में ,
आस की इक रोशन शु’आ’ का आग़ाज़ कर गया ।