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14 Sep 2024 · 1 min read

वो अगर चाहे तो आगे भी निकल जाऊँगा

वो अगर चाहे तो आगे भी निकल जाऊँगा
गिर गया हूँ मैं मगर फिर भी सम्भल जाऊँगा

मैं तो सहराओं में आया हूँ बिना पानी के
अब यही सांस हैं कुछ रोज़ तो चल जाऊँगा

मुझको ख़्वाहिश है यहाँ रहते हुए जन्नत की
माँ तेरी गौद में सर रख के बहल जाऊँगा
~अंसार एटवी

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