वो अंजान….
मासूम सा था नादान सा था
वो इश्क हैरान परेशान सा था
चेहरे पर लटकती थी जो जुल्फें
लगता उससे वो बेईमान सा था
वो जो कच्ची उमर का इश्क था
लगता वो सच्चा इमान सा था
खिलखिलाती हँसी जो थी उसकी
उसीमे बसता मेरा सारा जँहा सा था
बेवरपाह सा था वो जमाने से ऐसे
जैसे हर चीज से वो अंजान सा था
आया वो जिंदगी मे खुशीयाँ लेकर लेकिन
कुछ पल ठहरने वाला मेहमान सा था
जाने वाले लौटकर आते नही कभी
फिर भी मुझे उस पर गुमान सा था
मिल जाए अब मुझे कुछ भी लेकिन
तेरा आना न मिटने वाला इक एहसान सा था……
#निखिल_कुमार_अंजान….