वोट डालने निश्चित जाना
नेताजी लेकर आए हैं
लोक लुभावन ढेरों वादे
जनता तो है भोली भाली
समझ न पाती कुटिल इरादे.
इनको आज बदलना होगा
जन जन को समझाना होगा
जात धर्म से ऊपर उठकर
अच्छे को ही चुनना होगा
जितने दल और प्रत्याशी हैं
सबका इतिहास समझना होगा
आज तुम्हारे एक वोट को
आगे पीछे घूम रहे हैं
कल जब बन बैठेंगे हाकिम
शुरू करेंगे नजर बचाना
इनके चक्कर में मत पड़ना
सोच समझ कर निश्चय करना
अपना मत बेकार न जाए
जांच परख कर बटन दबाना.
लेकिन आलस में मत पड़ना
वोट डालने निश्चित जाना.
बूंद बूंद से घट भरता है
घर घर जाकर ये समझाना
कृस्ण कहीं बस एक वोट से
योग्य नहीं रह जाए पीछे
वह हारा तो तुम हारोगे
पांच साल तक फिर पछताना
गांठ बांध लो भैया बहना
वोट डालने निश्चित जाना.
श्रीकृष्ण शुक्ल, सरोज मुरादाबाद