वैसी दीवाली
वैसी दीवाली
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कभी-कभी दीवाली किसी त्यौहार का नाम नहीं होता ,
तब दीवाली केवल एक मुस्कान का नाम होता है !
कभी-कभी दीवाली होती नहीं केवल छप्पन पकवानों से,
तब दीवाली केवल भरे पेट सोने का नाम होता है !
कभी-कभी दीवाली सोना-चाँदी खरीद कर नहीं मनाई जाती,
तब दीवाली तन पर कपड़ों की एक दूसरी जोड़ी महसूस करने का नाम होता है !
कभी-कभी दीवाली अपनों को महंगे उपहार बाँट कर नहीं मनती,
तब दीवाली किसी बेसहारा कांधे पर हाथ रख सहारा देने का नाम होता है!
कभी-कभी दीवाली के बिना भी दीवाली हो जाती है,
तब जब कोई इंसान इंसानियत का जश्न मना रहा होता है !
@Sugyata
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