वैलेंटाइन
लाल-लाल दे गुलाब, प्यार को हो इजहार, सप्ताह चलाने की ही, वैलेंटाइन रीत है।
मिलते हैं उपहार, टेडी की तभी बहार, गले से लगाने की ही , वैलेंटाइन रीत है।
नहीं है शरम लाज, खुला खुला है रिवाज, विदेशी जमाने की ही, वैलेंटाइन रीत है।
बाजारीकरण हुआ,दिखावा चलन हुआ,धन को कमाने की ही, वैलेंटाइन रीत है।
08-02-2021
डॉ अर्चना गुप्ता
मुरादाबाद