Sahityapedia
Login Create Account
Home
Search
Dashboard
Notifications
Settings
23 Mar 2017 · 1 min read

वे बलिदानी मसताने थे

राजगुरु सुखदेव भगत सिंह
आजादी के दीवाने थे ,
हँसते हँसते गए फँदे पर
वे बलिदानी मसताने थे ।

इंकलाब का नारा देकर
वो नयी चेतना लाये थे
देश प्रेम की ज्योत जलाकर
सरदार वही कहलाये थे ।

नाम शिवराम हरि राजगुरू
वेदों और ग्रन्थों के ज्ञाता ,
छापामार युद्ध शैली से
था उनका नजदीकी नाता ।

सुखदेव थापर भगत सिँह ने
संग संग दीक्षा पायी थी ,
लाजपत की हत्या के बदले
साण्डर्स की बलि चढ़ायी थी ।

साहस का पर्याय थे तीनों
भारत माँ न भूल पाएगी
ऐसे शहीदों की कुर्बानी
युग युग तक गायी जाएगी ।

डॉ रीता

Language: Hindi
273 Views
📢 Stay Updated with Sahityapedia!
Join our official announcements group on WhatsApp to receive all the major updates from Sahityapedia directly on your phone.
Books from Rita Singh
View all

You may also like these posts

कुछ अनुभव एक उम्र दे जाते हैं ,
कुछ अनुभव एक उम्र दे जाते हैं ,
Pramila sultan
Kavi Shankarlal Dwivedi in a Kavi sammelan, sitting behind is Dr Pandit brajendra Awasthi
Kavi Shankarlal Dwivedi in a Kavi sammelan, sitting behind is Dr Pandit brajendra Awasthi
Shankar lal Dwivedi (1941-81)
सर्वोपरि है राष्ट्र
सर्वोपरि है राष्ट्र
Dr. Harvinder Singh Bakshi
नादान परिंदा
नादान परिंदा
Dr. Ramesh Kumar Nirmesh
तन माटी का
तन माटी का
Neeraj Agarwal
कृष्ण कन्हैया
कृष्ण कन्हैया
Karuna Bhalla
*कालरात्रि महाकाली
*कालरात्रि महाकाली"*
Shashi kala vyas
*पुस्तक समीक्षा*
*पुस्तक समीक्षा*
Ravi Prakash
अवधू का सपना
अवधू का सपना
अवध किशोर 'अवधू'
आज  उपेक्षित क्यों भला,
आज उपेक्षित क्यों भला,
sushil sarna
निराला का मुक्त छंद
निराला का मुक्त छंद
Shweta Soni
जहां से उठा वही से गिरा हूं मैं।
जहां से उठा वही से गिरा हूं मैं।
Rj Anand Prajapati
सहधर्मनी
सहधर्मनी
Bodhisatva kastooriya
तू खुद को कर साबित साबित
तू खुद को कर साबित साबित
Shinde Poonam
जय श्री महाकाल
जय श्री महाकाल
Neeraj kumar Soni
ठोकरें आज भी मुझे खुद ढूंढ लेती हैं
ठोकरें आज भी मुझे खुद ढूंढ लेती हैं
Manisha Manjari
हमारे मां-बाप की ये अंतिम पीढ़ी है,जिनके संग परिवार की असली
हमारे मां-बाप की ये अंतिम पीढ़ी है,जिनके संग परिवार की असली
पूर्वार्थ
मैने वक्त को कहा
मैने वक्त को कहा
हिमांशु Kulshrestha
काव्य की आत्मा और सात्विक बुद्धि +रमेशराज
काव्य की आत्मा और सात्विक बुद्धि +रमेशराज
कवि रमेशराज
"Death"
राकेश चौरसिया
जो कायर अपनी गली में दुम हिलाने को राज़ी नहीं, वो खुले मैदान
जो कायर अपनी गली में दुम हिलाने को राज़ी नहीं, वो खुले मैदान
*प्रणय*
STABILITY
STABILITY
SURYA PRAKASH SHARMA
sp 127 ऊपर नीचे
sp 127 ऊपर नीचे
Manoj Shrivastava
23/30.*छत्तीसगढ़ी पूर्णिका*
23/30.*छत्तीसगढ़ी पूर्णिका*
Dr.Khedu Bharti
पहले खुद संभलिए,
पहले खुद संभलिए,
Jyoti Roshni
दिल की आरजूओं को चलो आज रफू कर ले।
दिल की आरजूओं को चलो आज रफू कर ले।
Ashwini sharma
***होली के व्यंजन***
***होली के व्यंजन***
Kavita Chouhan
डमरू वर्ण पिरामिड
डमरू वर्ण पिरामिड
Rambali Mishra
आत्मा
आत्मा
राधेश्याम "रागी"
"गुलामगिरी"
Dr. Kishan tandon kranti
Loading...