वे बलिदानी मसताने थे
राजगुरु सुखदेव भगत सिंह
आजादी के दीवाने थे ,
हँसते हँसते गए फँदे पर
वे बलिदानी मसताने थे ।
इंकलाब का नारा देकर
वो नयी चेतना लाये थे
देश प्रेम की ज्योत जलाकर
सरदार वही कहलाये थे ।
नाम शिवराम हरि राजगुरू
वेदों और ग्रन्थों के ज्ञाता ,
छापामार युद्ध शैली से
था उनका नजदीकी नाता ।
सुखदेव थापर भगत सिँह ने
संग संग दीक्षा पायी थी ,
लाजपत की हत्या के बदले
साण्डर्स की बलि चढ़ायी थी ।
साहस का पर्याय थे तीनों
भारत माँ न भूल पाएगी
ऐसे शहीदों की कुर्बानी
युग युग तक गायी जाएगी ।
डॉ रीता