“””””” वे कहते रहे,हम सुनते रहे “”””””
****वे कहते रहे****
वे कहते रहे हम सुनते रहे,नयनों से अश्रु बहते रहे।
हक था उनका कहने का,न चाहते हुए भी सहते रहे।।
दिल से चाहा था उनको,जैसा वे चाहे करना था।
प्यार के बदले प्यार मिलेगा, यही सोचकर चुप रहे।।
इंतेहा तो तब हो गई जब ,सारा दोष हम पर मड़ दिया।
रोते रोते उनके आशियाने से,चल पड़े बिन कुछ कहे।।
हम ठहरे गरीब,अमीरी के मद में वे चकनाचूर थे।
खाली पेट रह लेंगे ,पर बेवजह की तोहमत कब तक सहे।।
दिल किसी से लगाओ तो ऐतबार करना सीखना।
भरोसे से चलती दुनियां अनुनय सही सही कहे।।
राजेश व्यास अनुनय