*वेशक होगी हानि *
वेशक होगी हानि,दोशती सर्पों से कर लोगे ।
पटल पे आकर पड़ जाओगे ,वस रोओगे।।
ऊँगली के स्पर्श मात्र से,
वह तो उन्नत माथ करेगा।
अपना उल्लू सीधा करके
तुम पर उल्टा राज करेगा ।
पर तुम भोले पन में आकर
नागपंचमी से पहले ही
नित क्षुदा मेंटकर के अपनी,उनको दूध बिनौले दोगे।
वेशक होगी———————————————- ।१।
फंसकर इनके बीच वैर भी
रखना भी हितकर न होगा।
कब बना करके सगा तुम्हें
कब बदल सकते ये चोगा ।
तो बात पुरानी शत शत पक्की
रहकर इनके बीच सोच लो तुम ,सदा सजग रहोगे।
वेशक होगी———————————————-।२।
तुमको अगवा करके देखो
ये अपने विल में घुस जाएंगे।
करके लम्बी दम को अपनी
खाली पूंछ को हिलाएंगे ।
गिरी गाज फिर तुम पर आकर
फिर गहन सा चिंतन अपना,जाकर किससे कहोगे ।
वेशक होगी———————————————-।३।
मानवता और अपनेपन का
इनके अंदर है गुण धर्म नहीं ।
ये औरों पर हैं निर्भर रहते
अपना कोई सुकर्म नहीं ।
ये केवल फुंकार मात्र से
कांप कांप कर बुरी तरह से,जाके दूर कहीं गिरोगे।
वेशक होगी———————————————–।४।
फूंक फूंक कर कदम बढाकर
है चलते जाना चलते जाना।
चुनकर सुपथ भला भला सा
मानवता हित बढ़ते बढ़ते जाना ।
नाना रूप भेड़ियों के जैसे
बीमारी महामारी फैली,अब् तो मुहूँ में ऊँगली न दोगे?
वेशक होगी———————————————–।५।