वेदना
वेदना
कल प्रीतम से जो हुई बात
नवोढ़ा का खिल गया गात
सीमा पर खड़े सीना तान
साजन तो ठहरे एक कप्तान
सुना,साजन आएँगे परसों
मन-ही-मन में फूली सरसों
परसों छोड़ वो आ गए आज
सुन सुन कर आई कुछ लाज
पर,चीख चीख माता का क्रंदन
व्यथित पिता का करुण रुदन
आए यूँ लिपट, तिरंगे के वेश में
ऐसा तो कहा नहीं संदेश में
सीमापार से चल गई गोली
खेली प्रीतम संग खून की होली
मेहँदी का निष्ठुर उपहास
हिय-शूल,अवरुद्ध कंठ सायास
झरे नीर नयन ढुल-ढुल
कोख में जीव का कुलबुल
इस अजन्में के विधना को
कौन पढ़े इस वेदना को
लुप्त होती संचेतना को
प्रकट करूँ किस वेदना को?
-©नवल किशोर सिंह