वेदना
वो अंतर्मन मन की वेदना, वो धीमी सी चाह
कहा क्षुब्ध हुई जवानी, कहा पायी उसकी राह।।
विकट स्थिति के कुटिल जालों से,निकल सके ऐसे चाह .
आशंकित मन के शांति प्राप्ति की नई थाह ।।
काष्ठ समान ह्रदय पुकार पाये जिसके दर्द की आह,
समाप्त होने का भय का क्या अर्थ विहीन प्रचार
वो अंतर्मन मन की वेदना, वो धीमी सी चाह
कहा क्षुब्ध हुई जवानी, कहा पायी उसकी राह।।