वेदना जब विरह की…
वेदना जब विरह की लिखी लेखनी,
पीर की हर चुभन बन गयी रागिनी,
“अश्क”में चाँद उतरा धरा पर मगर-
नील नभ में विहँसती रही चाँदनी।।
© अशोक कुमार ” अश्क चिरैयाकोटी ”
दि०:05/05/2022
वेदना जब विरह की लिखी लेखनी,
पीर की हर चुभन बन गयी रागिनी,
“अश्क”में चाँद उतरा धरा पर मगर-
नील नभ में विहँसती रही चाँदनी।।
© अशोक कुमार ” अश्क चिरैयाकोटी ”
दि०:05/05/2022