*वृद्ध-आश्रम : आठ दोहे*
वृद्ध-आश्रम : आठ दोहे
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(1)
वृद्धाश्रम अब चाहिए ,शहर-शहर हर ग्राम
बूढ़ों का इनके बिना ,चलता कहीं न काम
(2)
कैसे बिस्तर से उठें ,किस के बल पर रोज
बूढ़ों के दुर्भाग्य पर ,करिए घर – घर खोज
(3)
बूढ़ों को खाना नहीं ,बूढ़ों को कब मान
वृद्धावस्था जानिए , होती नर्क समान
(4)
बेटे – बहुओं ने किए ,बूढ़े घर से दूर
यौवन सिर पर चढ़ रहा ,हुए नशे में चूर
(5)
धन-दौलत घर कर दिया ,सब बच्चों के नाम
नजरें अब टेढ़ी हुईं ,भुगतो अब परिणाम
(6)
चलती हुई दुकान थी ,घर था आलीशान
लेकिन जब बूढ़े हुए , मुश्किल में है जान
(7)
पैसा अब कब हाथ में ,धन बेटों के पास
बूढ़ेपन में दुर्दशा , रहती बारहमास
(8)
एक भवन ऐसा बने ,बूढ़े करें निवास
अंतिम साँसें लें जहाँ ,बूढ़ों के रह पास
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रचयिता : रवि प्रकाश , बाजार सर्राफा
रामपुर (उत्तर प्रदेश)
मोबाइल 99976 15451