वृद्धाश्रम
ले जाकर तूने उस माँ को जो वृद्धाश्रम में छोड़ दिया।
तुम भूल गए हो उस माँ को
जिस माँ ने तुम्हें दुलारा था।
जिस माँ ने तुमको जन्म दिया
उसकी आँखों का तारा था।
जिसकी तू उँगली पकड़ सदा
पग-पग रख के चलना सीखा।
पर तूने माँ ममता न समझी
समझ रखा रिश्ता फीका।
उस माँ के सारे सपनो को
इक पल में तूने तोड़ दिया।
ले जाकर तूने उस माँ को जो वृद्धाश्रम में छोड़ दिया।
लग जाए बुरी नज़र न लल्ला
कहके काजल का सार दिया।
फिर चूम हथेली गोदी में
जी भर जिस ने प्यार किया।
थी तुझसे कुछ आशाएं माँ
की तूने चकनाचूर किया।
आज एक माँ को तूने फिर
यूँ रोने पर मजबूर किया।
तूने अपने कर्मों से ही
खुद पाप घड़ा ये फोड़ लिया।
ले जाकर तूने उस माँ को जो वृद्धाश्रम में छोड़ दिया।
माँ का मान रहा जग में माँ
गंगा यमुना गायत्री सी।
माँ की पवित्रता है जग में
सीता अनुसुइया सावित्री सी।
माँ है गीता का प्रणव शब्द
माँ मेरी जीवन शक्ती है।
माँ धरती से आकाश तलक
सम्पूर्ण विश्व की सृष्टी है।
जिसने भी माँ को कष्ट दिया
ईष्वर ने भी नाता तोड़ लिया।
ले जाकर तूने उस माँ को जो वृद्धाश्रम में छोड़ दिया।
मौलिक एवं स्वरचित
अभिनव मिश्र अदम्य
शाहजहांपुर, उ.प्र.