Sahityapedia
Login Create Account
Home
Search
Dashboard
Notifications
Settings
2 Oct 2020 · 1 min read

वृद्धाश्रम

लेने सुध माँ बाप की,एक कलयुगी सन्तान
पँहुची वृध्दाश्रम,लगा अपने मुँह पर मास्क
जाकर मुख्य द्वारपे,कुछ यूँ परिचय बताया
साथ अपने नामके,पिता का नाम लिखाया
फिर बोला दरबान से,जल्द उनसे मिलाओ
भेजो संदेश और मेरे,माँ बाबा को बुलाओ
कहो उनसे हूँ लाया,दवाएँ कुछ खाने को
रोग प्रतिरोधक,क्षमता उनकी बढ़ाने को
देख अधीर पुत्र को,दरबान ने दौड़ लगाई
सहर्ष जा कर,बुजुर्ग दम्पति,को दी बधाई
बोला उनसे पुत्र आपका,मिलने है आया
साथ अपने दवाइयाँ,आपके लिए है लाया
सुन खबर यह,माँ की बूढ़ीआँखें भर आई
हल्की सी मुस्कान,पिता के लबों पर आई
हृदय में मचने लगा,आशंकाओ का शोर
जल्दी जल्दी उठे कदम,दरवाजे की ओर
मगर मिलते ही बेटे से,उत्साह हुआ पस्त
महल अरमानो का,पलभर में हुआ ध्वस्त
जब बेटे ने समय की,कमी का रोना रोया
पिता के व्यथित मन ने,धैर्य अपना खोया
लरजते लबो से,कहा पिता ने तुम जाओ
समय अपना हम पर,तुम न व्यर्थ गँवाओ
तुम ना समझ पाओगे ,ममता की लाचारी
हाँ कर लेना तुमसे उम्मीद,थी भूल हमारी
लेकिन बेटा तुम अब,जब कभी भी आना
नाम ना मेरा,साथ तुम्हारे,नाम के लिखाना
मुझे ना ऐसे और तुम,करना अब शर्मिंदा
जीने दो,सम्मान से,हूँ जब तक मैं जिंदा
अगर आओ ऐ “अश्क”,तो काम ये करना
नकाब से एक अपना,पूरा चेहरा ढँकना

अरविन्द “अश्क”

Language: Hindi
1 Like · 2 Comments · 419 Views
📢 Stay Updated with Sahityapedia!
Join our official announcements group on WhatsApp to receive all the major updates from Sahityapedia directly on your phone.
You may also like:
मैं इस दुनिया का सबसे बुरा और मुर्ख आदमी हूँ
मैं इस दुनिया का सबसे बुरा और मुर्ख आदमी हूँ
Jitendra kumar
हाँ, मैं कवि हूँ
हाँ, मैं कवि हूँ
gurudeenverma198
आवारगी मिली
आवारगी मिली
Satish Srijan
💐प्रेम कौतुक-259💐
💐प्रेम कौतुक-259💐
शिवाभिषेक: 'आनन्द'(अभिषेक पाराशर)
3208.*पूर्णिका*
3208.*पूर्णिका*
Dr.Khedu Bharti
वो दिखाते हैं पथ यात्रा
वो दिखाते हैं पथ यात्रा
प्रकाश
मोर छत्तीसगढ़ महतारी
मोर छत्तीसगढ़ महतारी
Mukesh Kumar Sonkar
विषाद
विषाद
Saraswati Bajpai
चैतन्य
चैतन्य
DR ARUN KUMAR SHASTRI
ख़ुद को हमने निकाल रखा है
ख़ुद को हमने निकाल रखा है
Mahendra Narayan
अखंड साँसें प्रतीक हैं, उद्देश्य अभी शेष है।
अखंड साँसें प्रतीक हैं, उद्देश्य अभी शेष है।
Manisha Manjari
अंतिम सत्य
अंतिम सत्य
विजय कुमार अग्रवाल
मित्रता दिवस पर एक खत दोस्तो के नाम
मित्रता दिवस पर एक खत दोस्तो के नाम
Ram Krishan Rastogi
वो कड़वी हक़ीक़त
वो कड़वी हक़ीक़त
पूर्वार्थ
कभी भी ऐसे व्यक्ति को,
कभी भी ऐसे व्यक्ति को,
Shubham Pandey (S P)
हम कितने आँसू पीते हैं।
हम कितने आँसू पीते हैं।
Anil Mishra Prahari
हिन्दू नव वर्ष की हार्दिक शुभकामनाएं।
हिन्दू नव वर्ष की हार्दिक शुभकामनाएं।
निशांत 'शीलराज'
वक्त
वक्त
Astuti Kumari
अजीब सी बेताबी है
अजीब सी बेताबी है
शेखर सिंह
नानखटाई( बाल कविता )
नानखटाई( बाल कविता )
Ravi Prakash
"महत्वाकांक्षा"
Dr. Kishan tandon kranti
तलाश है।
तलाश है।
नेताम आर सी
फ़ितरत
फ़ितरत
अनिल कुमार गुप्ता 'अंजुम'
" दीया सलाई की शमा"
Pushpraj Anant
मेरी बेटी मेरा अभिमान
मेरी बेटी मेरा अभिमान
Dr. Pradeep Kumar Sharma
लफ़्ज़ों में आप जो
लफ़्ज़ों में आप जो
Dr fauzia Naseem shad
"चाणक्य"
*Author प्रणय प्रभात*
खुद से रूठा तो खुद ही मनाना पड़ा
खुद से रूठा तो खुद ही मनाना पड़ा
सिद्धार्थ गोरखपुरी
क्यों कहते हो प्रवाह नहीं है
क्यों कहते हो प्रवाह नहीं है
Suryakant Dwivedi
गरीब और बुलडोजर
गरीब और बुलडोजर
सोलंकी प्रशांत (An Explorer Of Life)
Loading...