वृद्धाश्रम में
माँ बाप ने मन्नतो का ढ़ेर लगाया होगा
तब कहीं जाकर घर का चिराग पाया होगा
तेरी सलामती खातिर दुआ अर्ज़ करने
कई मंदिरों मस्जिदों मजारो पे शीश नवाया होगा
तेरा हर ख़्वाब पूरा करने की चाह में,
ख़ुद के अरमानों का गला दबाया होगा
स्वयं के सपनों को आग लगाई होगी
तब कहीं जाकर तेरा हर स्वप्न सजाया होगा
और जब तू उन्हें वृद्धाश्रम छोड़ आया आज
सोच तुमने सब कुछ खोकर क्या पाया होगा