*वृद्धावस्था : सात दोहे*
वृद्धावस्था : सात दोहे
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1)
ढीले-ढाले हो गए, अंग-अंग के जोड़
बूढ़ापन सबसे बुरा, जीवन का यह मोड़
2)
सौ वर्षों की जिंदगी, समझो है अभिशाप
दुर्बल स्वास्थ्य सता रहा, मानव को चुपचाप
3)
पैरों से चलना कठिन, करते हाथ सवाल
कहते बूढ़े अंग हैं, खड़ा सामने काल
4)
बूढ़ेपन में वह सुखी, जिसकी दृष्टि विशाल
खोलीं जिसने मुठ्ठियॉं, उम्र देख तत्काल
5)
वृद्धावस्था आ गई, दुख यह अपरंपार
अभी नहीं तृष्णा मिटी, अभी लोभ-भंडार
6)
अनुभव के आधार पर, कहते हैं यह लोग
वृद्धावस्था देह का, सबसे भारी रोग
7)
वृद्धावस्था आ गई, मन में किंतु मलाल
अमर-तत्व पाया नहीं, पुनः आ गया काल
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रचयिता : रवि प्रकाश
बाजार सर्राफा, रामपुर, उत्तर प्रदेश
मोबाइल 9997615451