Sahityapedia
Login Create Account
Home
Search
Dashboard
Notifications
Settings
23 Nov 2021 · 2 min read

वृद्धावस्था में प्यार ..

जवानी प्यार की पींगे जब चाहे बढ़ा सकती है ,
क्यों बड़ी उम्र का प्यार उसमें झूल नहीं सकता है ?

निभा तो दिए सारे फर्ज संतान के प्रति जो भी थे ,
अब अपने लिए जीना चाहे, क्यों गवारा नहीं होता है?

हम घुट घुट एकांकी जीवन जिए यह मंजूर हैं मगर ,
किसी साथी से क्या दूसरा प्यार नहीं हो सकता है ?

अभी जीवन खत्म तो नहीं हुआ अब भी कुछ शेष है ,
उस शेष जीवन को खुशी से जिया जा सकता है ।

तुम स्वार्थी,अहंकारी,बस अपने सुख की सोचते हो ,
हमारे एहसास,हमारे दर्द से तुम्हें कोई फर्क पड़ता है ?

अपनी परेशानियों/ परिस्थितियों से अकेले झूझते है ,
हमारी समस्या सुनने व् पास बैठने का वक्त होता है ?

हमारा प्रेम सच्चा प्रेम है भोग विलास से कोसों दूर ।
ऐसे में तो केवल एक हमसफर / हमराज का ही अरमां होता है ।

प्यार को वीभत्स बनाया तुम्हारी पीढ़ी ने ही समझे !
वरना प्यार गर सच्चा हो तो वो अराध्य होता है ।

तुम तो हमें अपनी जिंदगी से अलग कर चुके हो ,
अब हमारी जिंदगी में दखल तुम्हें शोभा देता है ?

हमारे सीने में भी एक धड़कता हुआ दिल है,जीवित है
इसीलिए प्रेम करने और प्रेम पाने का हक हमें भी है।

वो गर तुम ना दे सको ,या ना देना चाहो ,तो क्या !!
जहां भी, जिससे भी मिले सच्चा प्यार ,स्वीकारा जा सकता है ।

नोट – एक मराठी चलचित्र ” जीवन संध्या” की कथा पर आधारित कविता ।जो संतानें अपने वृद्ध माता ( विधवा ) और पिता ( विधुर ) को उनके हाल पर तन्हा छोड़ देते है । क्या ऐसे में उन्हें अपने लिए हमसफर / हमराज / हमदर्द तलाश करने का हक नहीं मिलना चाहिए ?

Language: Hindi
5 Likes · 8 Comments · 439 Views
📢 Stay Updated with Sahityapedia!
Join our official announcements group on WhatsApp to receive all the major updates from Sahityapedia directly on your phone.
Books from ओनिका सेतिया 'अनु '
View all

You may also like these posts

ख्वाइश
ख्वाइश
Mandar Gangal
बिन बोले सब बयान हो जाता है
बिन बोले सब बयान हो जाता है
रुचि शर्मा
रंगीला बचपन
रंगीला बचपन
Dr. Pradeep Kumar Sharma
संवेदना की पहचान
संवेदना की पहचान
Dr. Vaishali Verma
फौजी को स्टेशन पर छोड़ती हुई उसकी प्रेमिका
फौजी को स्टेशन पर छोड़ती हुई उसकी प्रेमिका
Ankita Patel
প্রশ্ন - অর্ঘ্যদীপ চক্রবর্তী
প্রশ্ন - অর্ঘ্যদীপ চক্রবর্তী
Arghyadeep Chakraborty
*बचिए व्यर्थ विवाद से, उपजाता यह क्लेश (कुंडलिया)*
*बचिए व्यर्थ विवाद से, उपजाता यह क्लेश (कुंडलिया)*
Ravi Prakash
ग़ज़ल(नाम जब से तुम्हारा बरण कर लिया)
ग़ज़ल(नाम जब से तुम्हारा बरण कर लिया)
डॉक्टर रागिनी
P
P
*प्रणय*
मैं गलत नहीं हूँ
मैं गलत नहीं हूँ
Dr. Man Mohan Krishna
हमने देखा है हिमालय को टूटते
हमने देखा है हिमालय को टूटते
अनिल कुमार गुप्ता 'अंजुम'
अपने ही घर से बेघर हो रहे है।
अपने ही घर से बेघर हो रहे है।
Taj Mohammad
मेहनत ही सफलता
मेहनत ही सफलता
Shyamsingh Lodhi Rajput "Tejpuriya"
*इंसानियत का कत्ल*
*इंसानियत का कत्ल*
सुरेन्द्र शर्मा 'शिव'
"बल"
Dr. Kishan tandon kranti
आओ मिलन के दीप जलाएं
आओ मिलन के दीप जलाएं
भगवती पारीक 'मनु'
अबके रंग लगाना है
अबके रंग लगाना है
Dr. Reetesh Kumar Khare डॉ रीतेश कुमार खरे
अधखिली यह कली
अधखिली यह कली
gurudeenverma198
प्रणय गीत...
प्रणय गीत...
हिमांशु Kulshrestha
बड़ि मुद्दति अरचन ते पाइयो
बड़ि मुद्दति अरचन ते पाइयो
श्रीहर्ष आचार्य
यॅू तो,
यॅू तो,
TAMANNA BILASPURI
भाग्य
भाग्य
Rajesh Kumar Kaurav
एक छोर नेता खड़ा,
एक छोर नेता खड़ा,
Sanjay ' शून्य'
सबने पूछा, खुश रहने के लिए क्या है आपकी राय?
सबने पूछा, खुश रहने के लिए क्या है आपकी राय?
Kanchan Alok Malu
ज़िंदा   होना   ही  काफी  नहीं ,
ज़िंदा होना ही काफी नहीं ,
Dr fauzia Naseem shad
मिन्नते की थी उनकी
मिन्नते की थी उनकी
Chitra Bisht
सुबह की एक कप चाय,
सुबह की एक कप चाय,
Neerja Sharma
2774. *पूर्णिका*
2774. *पूर्णिका*
Dr.Khedu Bharti
दीप प्रज्ज्वलित करते, वे  शुभ दिन है आज।
दीप प्रज्ज्वलित करते, वे शुभ दिन है आज।
Anil chobisa
*कुकर्मी पुजारी*
*कुकर्मी पुजारी*
Dushyant Kumar
Loading...