वृक्ष होते पक्षियों के घर
शीत हवाओं का था दौर ,
पक्षी कर रहे थे शोर ।
सूर्य की अनुपस्थिति में छाया था अंधेरा घनघोर ,
पक्षियों की परेशानियों का न था छोर ।
चारों दिशाओं में उन्होंने नज़र दौड़ाई ,
सिर्फ़ ईंटों की इमारतें ही नज़र आई ।
थी उनकी जान पर अब बन आई ,
मौसम ने भी न सुनी उनकी दुहाई ।
तभी एक घर के आँगन में देखा पेड़ विशाल,
मिल गई बेसहारा पंछियों को ढाल ।
हटे नन्हें पक्षियों के ऊपर से मुसीबतों के काले बादल ,
बना पेड़ उनके लिए मात-पिता सा आँचल ।
वृक्ष की टहनियों ने थामा उन्हें बन बाँह,
पेड़ पाते ही ख़त्म हुई परिंदों की चाह ।
बचाया पत्तियों ने शीत हवाओं से बन कम्बल ,
लौट आया नन्हें पक्षियों में फिर से उड़ान भरने का बल।
वृक्ष रूपी घर में उन्होंने रात बिताई ,
भोर होते ही पेड़ से ली विदाई ।
मनुष्यों से एक गुहार लगाई ,
“ न करो हमें बेघर ,बंद करो पेड़ कटाई “।
पेड़ काटने से पहले कर लेना तनिक विचार,
नन्हें पक्षियों के न छीनना घर-बार।
कर रहे हैं दुआ विश्व के परिंदे ,
आओ पूर्ण करें उनकी हमसे हैं जो उम्मीदें ।
इंदु नांदल , विश्व रिकॉर्ड होल्डर
इंडोनेशिया
स्वरचित