वृंदाबन महिमा – (मत्त सवैया ब्रज भाषा)
!! श्रीं !!
सुप्रभात !
जय श्री राधेकृष्ण !
शुभ हो आज का दिन !
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वृंदाबन महिमा
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जमना जी बहवौ भूल गईं,
शशि ने अपनी गति बिसराई ।
थम ब्यार गई, रुक रैन गई,
तारे निरखी प्रभु ठकुराई ।।
लीला लख देव ठगे सिगरे,
वीना लै सारद माँ आई ।
जित देखौ कृष्णा ही कृष्णा,
वह सरद पूर्णिमा कहलाई ।।
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महेश जैन ‘ज्योति’,
मथुरा !
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