वीर शौर्य
माँ की कोख में पलता यहाँ
बच्चा शौर्यमय हो जाता है।
तन मन वचन से सज-धज,
बच्चा, इस पुण्य धरा पे आता है।।
नौ माह तक पंचतत्वों का,
सम्पूर्ण ख्याल माँ रखती है।
रक्त पिलाकर वाहिनियों का,
रग-रग को लाल बनाती है।।
संस्कार और भाव समर्पण
माँ नस-नस भरती जाती है।
वीरों की बलिदान कहानी,
माँ पढ़कर सतत सुनाती है।।
लेकर जनम, फिर पालने में,
सारे करतब दिखालाता है।
मात-पिता के मन को भाता
पुत्र शूरवीर कहलाता है।।
सियाचीन के बर्फी पर्वत,
खड़-खड़-खड़ दौड़ा चढ़ता है।
श्वेत धरा पर ताने सीना,
वंदेमातरम वह पढ़ता है।।
लाल खड़ा है हिन्द का लाल,
बने काल शत्रु पर चढ़ता है।
सबसे ऊँची चोटी पर्वत,
पर, लिए तिरंगा लड़ता है।।
कश्मीर की हो घाटी या ,
कारगिल सरहद की लड़ाई।
रक्षण कर, हर बाजी जीतकर,
देश धरा की आन बचाई।।
बाघा बार्डर पर तुम देखो,
शत्रु आने से घबराते है।
मेरे देश के वीर जवान,
जब अपना शौर्य दिखाते है ।।
कच्छ की हो खाड़ी या धरती,
हो हिन्द महासागर का जल।
तेज-प्रतापी गाथा वर्णन,
सरहद कहती है जवां अटल।।
जल-थल अम्बर क्षितिज जहाँ तक ,
वीर शौर्य का गुणगान करे ।
हम सब भारतवासी वीरों ,
पर, आदर अभिमान करे।।
कण्टक कष्टों पर चलकर जो,
भारत की शान बढ़ाते है।
शत-शत नमन लेखनी करती,
“जय” हिंद जो खूं चढाते है।।
संतोष बरमैया “जय”