वीर शहीदों की कुर्बानी…!!!!
यारों आज फ़िर से याद किया जाए…
क्यों ना वही इतिहास दोहरा दिया जाए।
इतिहास की इमारतें देखते हैं हम…
देखते हैं उनकी उस निशानी को।
फिर क्यों हम लोगों ने भुला दिया…
उन वीर शहीदों की कुर्बानी को।
घर-घर तिरंगे का सम्मान रहे…
हिंदुत्व की पूरी शान रहे।
उन वीरों का यह जो देश है…
मातृभूमि से नहीं हम बढ़कर प्राण देता यह संदेश है।
गोलियों के उनके शरीर पर निशान-
फौजियों का होता है श्रृंगार…
हर रक्षा- बंधन एक बहन को भाई का,
हर करवा चौथ एक पत्नी को अपने चाँद का,
हर त्यौहार पर एक माँ को होता है अपने बेटे का इंतज़ार।
हमारे त्योहारों की रौनक बढ़ाने के लिए…
जिनके पड़ जाते हैं सारे फ़ीके त्यौहार।
वो वीर इस माटी के जन्में हैं…
जिन्होंने कारगिल युद्ध में टाइगर हिल पर फतह पाकर-
कर दी अपनी जाँ निसार।
कुर्बां हुए जो शूरवीर अपने वतन पर…
सज़दे पर रखकर नेता भी झुकाते हैं सर उनके कफन पर।
मेरा सर्वस्व इस माटी को अर्पण है…
वीरों की कुर्बानी का यह आजाद देश दर्पण है।
ऐसा था वह वीर सुखदेव…
प्राण न्यौछावर करने को तत्पर रहता था सदैव।
जन्मा था इस माटी पर वो राजगुरु…
जिसने लाज रखी इस माटी की-
जिसने जीवन के अंतिम क्षण तक बचाए रखे हिंदुत्व की आबरू।
हमारे थे वह खुदीराम बोस…
जिन्होंने उड़ा दिये थे अंग्रेजों के होश।
वीरता की अद्भुत निशानी थे वह वीर भगत सिंह और चंद्रशेखर…
अंग्रेजों पर हुआ था उनका कुछ ऐसा असर-
उनके हौसलें की फैली हुई थी पूरे हिंदुस्तान में खबर।
सरदार उधम सिंह जो थे साहस से परिपूर्ण…
माइकल ओ डायर को विदेश में जाकर गोली मारकर-
शपथ कि जिन्होंने अपनी पूर्ण।
उन वीरों का यह जो देश है…
मातृभूमि से नहीं हैं बढ़कर प्राण देता यह संदेश है।
मिलकर तोड़ी थी जिन्होंने गुलामी की जज़ीर…
अपने हाथ लिखी थी जिन्होंने स्वयं अपनी तकदीर।
उनके हौसलें यूँ बुलंद रहे…
अंग्रेजों के भी मुँह उनके आगे बंद रहे।
आंखों में उनके सुलग रहे थे अंगारे…
दिल में भड़की हुई थी ज्वालाएँ-
कुर्बान हुए जो उनकी थी वो अद्भुत गाथाएं।
उन वीरों की आज़ादी की जल रही है ज्योति अखंड…
फ़ैली हुई है इन फ़िज़ाओं में आज़ादी की सुगंध।
बेशक आज़ादी के लिए उन्होंने थोड़ा ही जिया हो जिंदगी का सफ़र…
लेकिन हमारे दिलों में हमेशा रहेंगे वो वीर अमर।
मातृभूमि पर वो फिदा हो गए…
आज़ादी के लिए हंसते-हंसते अलविदा हो।
जिन्होंने “मातृभूमि प्रेम” का संदेश दिया हम सबको…
आज भावपूर्ण श्रद्धांजलि देते हैं हम उनको…!!!!
-ज्योति खारी