वीर लोरिक
वीर लोरिक।
वीर लोरिक के लोरिकायन गाथा हैय।
संस्कृति के दोसर यदुवंशी कृष्णा हैय।
पिता कठियत माता खुइलनक बेटा हैय।
वीर संवुरनक छोट वीर भ्राता हैय।
गुरु अजइ धोबी मित्र नाईगंगीया हैय।
सवारी लेल शरारती घोड़ा मंगरा हैय।
यदुवंशी लोरिक गाय के पालक हैय।
गायक दूध पीके बनल पहलवान हैय।
दूर्गा वीर लोरिक के आराध्य हैय।
दूर्गा पंख सवार देव मिलत हैय।
बड़ बड़ योद्धा रणक्षेत्र हराबै हैय।
मरदमल कोरइया बघेल निर्मल हराबै हैय।
पत्नी मंजरीतेलीन प्रेमिकाचनमा प्रेम करैत हैय।
अन्याय अत्याचार के विरुद्ध लड़ैत हैय।
प्रेमिका इज्जत लेल बंठाचमार मारैत हैय।
हरेवा परेवा हरा सर्वजेता बनैत हैय।
वीर लोरिक जाती न मानैत हैय।
रामा लोरिक मिथिला कर्मक्षेत्र बनाबैत हैय।
स्वरचित@सर्वाधिकार रचनाकाराधीन।
रचनाकार -आचार्य रामानंद मंडल सामाजिक चिंतक सीतामढ़ी।