वीर महाराणा प्रताप
भारत भूमि की शान वीरता और बलिदान की पहचान
मुगलों का अभिमान चूर किया वो है महाराणा प्रताप
शौर्य और पराक्रम जिसका अद्भुत और अनोखा था
कवच इकयासी और बहत्तर किलो का भाला था
भारत की भूमि पर जब मुगलों का शासन था
मेवाड़ के गौरव व स्वाभिमान का रक्षक था
हरे घास की रोटी खाई संघर्षों में जीवन व्यतीत किया
पर अकबर की अधीनता को कभी न स्वीकार किया
मेवाड़ के इतिहास में चमकता हुआ सूरज था
हल्दी घाटी के युद्ध में सिंह सा उसका गर्जन था
राजपूताना गाथा में शोभित वह गहना था
जिसकी वीरता के आगे मुगलों ने भी लोहा माना था
मुगलों से युद्ध करने का अकेला उद्घघोषक था
बिजली की गति सा तेज वीर चेतक जिसका घोड़ा था
कथा वीरों की पढ़ निज धरा अभिमान करो
विपरीत परिस्थितियों में भी साहस स्वाभिमान धरो
महाराणा के आगे मुगलों की सेना पानी पानी थी
लहू में जिसके भरी हुई अग्नि सम रवानी थी
इतिहास में अमर सदा मेवाड़ी शान महान हैं
शौर्य और पराक्रम जिसका वीर महाराणा प्रताप है