वीर उधम सिंह (भोजपुरी)
भारत के त उ वीर मान, बल के पहाड़ सम,
साहस के सिंधु जान, धीरज जवन धरले बा।
डायर के गुमान अब, तोड़े खातिर नौजवान,
माटी क लाल आज, गर्वित चित्करले बा।।
जनरल धराशायी हो, दोहाई हाहाकार मचल,
हिन्द क सपूत, उधम सिंह त ललकरले बा।
डायर क साध सीना, तीन गो निशान कीन्हा,
कहलस ललकार मार, मार, मार, मरले बा।।
दहल गईल करेजा, धड़कन बढ़ल अंग्रेज़न क,
डर के गोरें भगे कांप, सब हिम्मत के हरले बा।
अरे! भारत के वीर से, कबो पार नही पइब जा,
छोड़ खल बैरी हिन्द, इहे ठोक छाती कहले बा।।
खुदी राम सुभाष चन्द्र, शेखर आज़ाद कहस,
भाग भाग कायर, अरि भारत कसम खइले बा।
झंडा तिन रंगा अब, फहराइम जा झूम झूम,
विष्व बिख्यात “चिद्रूप”,तिरंगा जाँ से पहले बा।।
©® पांडेय चिदानंद “चिद्रूप”
(सर्वाधिकार सुरक्षित २०/१०/२०१०