वीरान बचपन
पानी से खेलना
अच्छा लगता है
जिस उम्र में
वो पानी की बाल्टी
घर ला रहा,
अपने नाज़ुक कंधों
पर इतना बड़ा
बोझ वो उठा रहा।
डर नहीं लगता
अंधेरे से भी उसको
दोस्ती जो हो गई है
अब अंधेरे से उसको।
है वो अभी बच्चा
अब याद नहीं है उसको
ज़िंदगी ने जो
जिम्मेदारियों का
बोझ दे दिया है उसको।
अपने मां बाप से
कभी वो खिलौनों की
ज़िद्द नहीं करता
खुश हो जाता है बस
जिस रोज़ भर पेट
भोजन है करता।