*** वीरता
वीर हो तुम,धीर हो तुम,
ज़िन्दगी में कभी न अधीर हो तुम।
सज्जनों की रक्षा करना,
दुर्जनों को दण्डित करना।
वीरता की शान है।।
शान्ति का अमोघ अस्त्र लिये,
मानवता की शान है।
जीवन पथ पर चलते रहना,
सत्यपथ गामी तुम।
वीर तुम बढ़े चलो,
अविचल तुम अड़े रहो।
सामने पहाड़ हो सिंह की दहाड़ हो,
वीर तुम रूको नहीं, धीर तुम रूको नहीं।
दुर्जनों को मारकर, सज्जनों से प्यार कर।
सत्य की जयकार कर।
वीर तुम बढ़े चलो, धीर तुम बढ़े चलो।
मोक्ष की राह पर निरंतर तुम बढ़े चलो।।