वीणा का तार ‘मध्यम मार्ग ‘
बुद्ध का मार्ग सरल और सहज़ है। उत्तम है ,जीवन को बड़ी सहजता से समझने में पर्याप्त है।शांति की खोज ,शांति प्राप्त करना और उस शांति की अनुभूति करना जीवन में इससे ज्यादा सुख कहीं नहीं है।सुख शांति पाना ही अगर पीड़ा दायक हो ,उसके रास्ते ही इतने जटिल हो तो कौन पाना चाहेगा। बड़ी सरलता से यदि मिलने लगे तो जीवन का अर्थ और भाव ही बदल जाए।
बुद्ध कहते है,वीणा का तार यदि तनावपूर्ण स्तिथि में हो अर्थात् वीणा के तार को सीमा से अधिक खींचा जाए तो टूट जाना स्वभाविक है।तब तो पूरा जीवन ही व्यर्थ हो गया। उस वीणा से सुर निकलना तो मुमकिन ही नहीं।वहीं इसके विपरीत यदि वीणा के दोनों सिराओ से तार को छोड़ दिया जाए या अत्यधिक ढील दे दी जाए।तब भी उस वीणा से सुर न निकलेगा।
बुद्ध कहते है, वीणा तभी सुरीली सुर से बजेगा जब उस तार को मध्यम रूप से बांँधा जाए। जीवन का जो मध्य पड़ाव है,जन्म के बाद और मृत्यु आने तक,शांति सुख से जीना और निर्वाण प्राप्त के लिए मध्यम मार्ग को अपनाना ही सरोकार होगा।जो जटिल मार्ग से पहुँच गये ,ऐसा कोई जरुरी नहीं की सभी उस सुख शांति को उस मार्ग से पा सकेंगे।सहज़ मार्ग ही उत्तम है,मध्यम मार्ग ही श्रेष्ठ है।
रचनाकार-
बुद्ध प्रकाश,
मौदहा हमीरपुर।