वीणापाणि नमस्तुभ्यम्
वीणापाणि नमस्तुभ्यम
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श्वेताम्भोज सदृश वस्त्र धारिणी
अज्ञानापहा देवि हंसवाहिनी
वीणा पुस्तक धारिणी सुखकारिणी
विद्या वरदान देहि देवि हंसवाहिनी।
वीणा नाद करती हो हरती अज्ञान सबका
श्वेत कमल वासिनी माँ दया एक बार कर दो
ज्ञान के पिपासु हम सब करते आराधन है ।
दया मयी ममता मूर्ति ज्ञान का श्रेष्ठ वर दो।
छा रहा अंधेरा है अज्ञान सब ओर दिखता
हंस वाहिनी माँ ज्ञान के प्रकाश से ज्योतिर्मय कर दो।
कर मे हम पुष्प लिए ध्याए है बार बार ।
दया कर हंस वाहिनी माँ ज्ञान से झोली भर दो।
विन्ध्य प्रकाश मिश्र विप्र