विहंसती विभावरी
अलकों ने पलकों संग झुककर
अभिवादन है कर डाला।
इतराई अभिलाषाओं ने
नवचिंतन हृद् भर डाला।।
आख्याओं का सूना जीवन
अनुभूति से सजल रहा।
वातायन का हाथ पकड़
उर-मिलन भाव भी प्रबल रहा।।
जीवन में प्रिय ने दस्तक दी
कल्पनाएं कुछ चिहुंकी हैं।
आज प्रतीक्षा हुई निरूत्तर
विभावरी भी विहंसी है।।
रश्मि लहर
लखनऊ