विसाले यार ना मिलता है।
पेश है पूरी ग़ज़ल…
हर किसी को विसाले यार ना मिलता है।
कद्रदान तो बहुत है दिले यार ना मिलता है।।1।।
कहने को तो भीड़ से घिरे है हम हमेशा।
एहसासों को जो समझे,इंसा ना मिलता है।।2।।
यूं कब तक हम ऐसे ही तन्हाई में जिए।
हमारे गर्दिशो का यह आसमां ना छटता है।।3।।
इंसान खींचा तानी में मशरूफ है बड़ा।
इश्क तो करले कोई बेपरवाह ना मिलता है।।4।।
बाज़ार तो लगा है दिलको बहलाने का।
रूह ए तासीर को कोई सामा ना मिलता है।।5।।
झूठे फरेबियों से भरा है सफरे कारवां
आबे तिश्नगी में सहरा ए यार ना मिलता है।।6।।
ताज मोहम्मद
लखनऊ