Sahityapedia
Login Create Account
Home
Search
Dashboard
Notifications
Settings
27 Jan 2023 · 1 min read

विष्णुपद छंद

🦚
( विष्णुपद छंद )
०००००००००००
मंजिल उसको ही मिल पाती, जो बिन रुके चले ।
ज्ञान नहीं जिनको मंजिल का, जाते वही छले ।।
मंजिल दूर पुकारे सुन तो, आ चल साथ चलें ।
दूर करें पथ का अँधियारा, बनकर ‘ज्योति’ जलें ।।७

राधे…राधे….!
🌹
महेश जैन ‘ज्योति’,
मथुरा !
***
🔥🔥🔥
(छंद मंजूषा से)

214 Views
📢 Stay Updated with Sahityapedia!
Join our official announcements group on WhatsApp to receive all the major updates from Sahityapedia directly on your phone.
Books from Mahesh Jain 'Jyoti'
View all
You may also like:
हक हैं हमें भी कहने दो
हक हैं हमें भी कहने दो
SHAMA PARVEEN
वो साँसों की गर्मियाँ,
वो साँसों की गर्मियाँ,
sushil sarna
4887.*पूर्णिका*
4887.*पूर्णिका*
Dr.Khedu Bharti
कब तक यूँ आजमाएंगे हमसे कहो हुजूर
कब तक यूँ आजमाएंगे हमसे कहो हुजूर
VINOD CHAUHAN
भारत के वीर जवान
भारत के वीर जवान
नंदलाल मणि त्रिपाठी पीताम्बर
मेरी ख़ूबी बस इत्ती सी है कि मैं
मेरी ख़ूबी बस इत्ती सी है कि मैं "ड्रिंकर" न होते हुए भी "थिं
*प्रणय*
🥀प्रेम 🥀
🥀प्रेम 🥀
Swara Kumari arya
छुपा कर दर्द सीने में,
छुपा कर दर्द सीने में,
लक्ष्मी सिंह
स = संगीत
स = संगीत
शिव प्रताप लोधी
पत्नी (दोहावली)
पत्नी (दोहावली)
Subhash Singhai
प्रेम पत्र जब लिखा ,जो मन में था सब लिखा।
प्रेम पत्र जब लिखा ,जो मन में था सब लिखा।
Surinder blackpen
विचार, संस्कार और रस [ तीन ]
विचार, संस्कार और रस [ तीन ]
कवि रमेशराज
हमारे जख्मों पे जाया न कर।
हमारे जख्मों पे जाया न कर।
Manoj Mahato
विश्व पुस्तक दिवस पर
विश्व पुस्तक दिवस पर
Mohan Pandey
आज के समय में शादियां सिर्फ एक दिखावा बन गई हैं। लोग शादी को
आज के समय में शादियां सिर्फ एक दिखावा बन गई हैं। लोग शादी को
पूर्वार्थ
मैं  रहूँ  या  ना रहूँ
मैं रहूँ या ना रहूँ
DrLakshman Jha Parimal
हमें अपने जीवन के हर गतिविधि को जानना होगा,
हमें अपने जीवन के हर गतिविधि को जानना होगा,
Ravikesh Jha
ज़िंदगी पर यक़ीन आ जाता ,
ज़िंदगी पर यक़ीन आ जाता ,
Dr fauzia Naseem shad
कुदरत के रंग.....एक सच
कुदरत के रंग.....एक सच
Neeraj Agarwal
है अजब सा माहौल शहर का इस तपिश में,
है अजब सा माहौल शहर का इस तपिश में,
डॉ. शशांक शर्मा "रईस"
**तीखी नजरें आर-पार कर बैठे**
**तीखी नजरें आर-पार कर बैठे**
सुखविंद्र सिंह मनसीरत
फांसी का फंदा भी कम ना था,
फांसी का फंदा भी कम ना था,
Rahul Singh
14, मायका
14, मायका
Dr .Shweta sood 'Madhu'
" वाणी "
Dr. Kishan tandon kranti
पढ़ो लिखो आगे बढ़ो...
पढ़ो लिखो आगे बढ़ो...
डॉ.सीमा अग्रवाल
"आओ हम सब मिल कर गाएँ भारत माँ के गान"
Lohit Tamta
शब्द ही...
शब्द ही...
ओंकार मिश्र
मंज़र
मंज़र
अखिलेश 'अखिल'
हँसता दिखना दर्द छुपाना हां मैं तुमसे -विजय कुमार पाण्डेय
हँसता दिखना दर्द छुपाना हां मैं तुमसे -विजय कुमार पाण्डेय
Vijay kumar Pandey
Dr Arun Kumar shastri
Dr Arun Kumar shastri
DR ARUN KUMAR SHASTRI
Loading...