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27 Jan 2023 · 1 min read

विष्णुपद छंद

🦚
( विष्णुपद छंद )
०००००००००००
मंजिल उसको ही मिल पाती, जो बिन रुके चले ।
ज्ञान नहीं जिनको मंजिल का, जाते वही छले ।।
मंजिल दूर पुकारे सुन तो, आ चल साथ चलें ।
दूर करें पथ का अँधियारा, बनकर ‘ज्योति’ जलें ।।७

राधे…राधे….!
🌹
महेश जैन ‘ज्योति’,
मथुरा !
***
🔥🔥🔥
(छंद मंजूषा से)

176 Views
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