कविता : मुस्कुराकर मिला करो
ज़रा मुस्क़ुराकर मिला करो, दुनिया गुलशन हो जाए।।
ख़ुशबू फैले मन-भावों की, दशों-दिशा मस्ती छाए।।
नैन मिलाकर चैन मिले ज्यों, मुस्क़ान ख़ुशी देती है।
हारे इंसानों के मन में, जोश नया भर देती है।।
मुस्क़ान मनोहर जादू है, सबको अपना कर लेती।
क्रोध भगाए क्रोधी का भी, पावक को ज्यों जल देती।।
मुस्क़ान लबों पर जिसके हो, शत्रु हृदय भी हिल जाए।
जो चाहे जीवन में पाना, पलक झपकते मिल जाए।।
मुस्क़ान अमृत करदे विष को, काँटों को फूल बनाए।
पाँवों के छालों को पल में, मरहम बन दूर भगाए।।
संगीत भरे जीवन में नव, रोग शोक सदा हराती।
मुस्क़ान मनोहर हितकारी, मंगल जीवन में लाती।।
मुस्क़ान कृष्ण की अमर हुई, संसार सकल जाने है।
प्रेमदेवता मंगलकारी, प्रेम इसी को माने है।
सब भूलो पर मुस्क़ान नहीं, प्रीतम यह याद दिलाए।
राज सफलता का एक यही, सबका जीवन हर्षाए।।
#आर.एस. ‘प्रीतम’
#स्वरचित रचना