विषय : बाढ़
विषय : बाढ़
आधार छंद : राधा / गंग छंद
(वार्णिक ) 8, 5 पर यति
मापनी : 212 221 222 122 2
आज मेघा , डाल डेरा , खूब छाए हैं ।
चैन खोया है सभी ने , ये सताए हैं ।।
इंद्र थोड़े क्रुद्ध से हैं , पूजना भूले ।
यज्ञ भूले प्रार्थनाएं , झूलते झूले ।
कर्म पीछे छूटता है , तो व्यथाएं हैं ।।
आज मेघा , डाल डेरा , खूब छाए हैं ।।
मानते हैं मन्नते भी , रूठता कोई ।
है अँधेरा फैलता तो , जाग है होई ।
हाथ सत्ता हो किसी के , जो डराए हैं ।।
आज मेघा , डाल डेरा , खूब छाए हैं ।।
बारिशें जो तेज होती , बाढ़ आती है ।
रौद्र होता रूप , आँखें , खौफ खाती है ।
शक्तियाँ बेतोल होती , तो सताए हैं ।।
आज मेघा , डाल डेरा , खूब छाए हैं ।।
रोकना आवेग को भी , है जरूरी तो ।
बाँधते जो बाँध होती , साध पूरी तो ।
नीतियाँ हैं बाँधती जो ,भाग्य पाए हैं ।।
आज मेघा , डाल डेरा , खूब छाए हैं ।।
स्वरचित / रचियता :
बृज व्यास
शाजापुर ( मध्यप्रदेश )