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26 Jul 2024 · 1 min read

विषय : बाढ़

विषय : बाढ़
आधार छंद : राधा / गंग छंद
(वार्णिक ) 8, 5 पर यति
मापनी : 212 221 222 122 2

आज मेघा , डाल डेरा , खूब छाए हैं ।
चैन खोया है सभी ने , ये सताए हैं ।।

इंद्र थोड़े क्रुद्ध से हैं , पूजना भूले ।
यज्ञ भूले प्रार्थनाएं , झूलते झूले ।
कर्म पीछे छूटता है , तो व्यथाएं हैं ।।
आज मेघा , डाल डेरा , खूब छाए हैं ।।

मानते हैं मन्नते भी , रूठता कोई ।
है अँधेरा फैलता तो , जाग है होई ।
हाथ सत्ता हो किसी के , जो डराए हैं ।।
आज मेघा , डाल डेरा , खूब छाए हैं ।।

बारिशें जो तेज होती , बाढ़ आती है ।
रौद्र होता रूप , आँखें , खौफ खाती है ।
शक्तियाँ बेतोल होती , तो सताए हैं ।।
आज मेघा , डाल डेरा , खूब छाए हैं ।।

रोकना आवेग को भी , है जरूरी तो ।
बाँधते जो बाँध होती , साध पूरी तो ।
नीतियाँ हैं बाँधती जो ,भाग्य पाए हैं ।।
आज मेघा , डाल डेरा , खूब छाए हैं ।।

स्वरचित / रचियता :
बृज व्यास
शाजापुर ( मध्यप्रदेश )

Language: Hindi
1 Like · 65 Views
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