विषय-घटता आँचल
विषय-घटता आँचल
शीर्षक-माँ का आँचल
विद्या-स्वतंत्र
माँ तो माँ होती
मातृ-स्नेह न कम होना
चाहिए।
हो जो भी बदलाव पर,
नेह न कम होना चाहिए।
माँ के आँचल से बच्चे को,
सुरक्षा मिलती है।
जिंदगी के ढोंग से,
रक्षा मिलती है।
न कोई सुख,
माँ के सुख जैसा।
न कोई सुंदर,
माँ के मुख जैसा।
माँ के आँचल-सा,
न कोई दूजा है।
माँ ही श्रद्धा,
माँ ही पूजा है।
खिलता बचपन जब,
माँ का आँचल लहराता है।
हर पीर में बच्चे को,
माँ का स्पर्श सहलाता है।
हर छाँव से बढ़कर,
माँ का आँचल कहलाता है।
माँ का घटता स्नेह,
घटता आँचल भाता नहीं है।
माँ से पहले कोई नाम,
आता नहीं है।
माता-संतान जैसा,
कोई नाता नहीं है।
माँ के आँचल-सी ठंडक,
कोई लाता नहीं है।
घटता आँचल,
वास्तविकता तोड़ देता है।
भौतिकता दौड़ में,अपना सत्य छोड़ देता है।
भूल अपने भाव, ढोंगी
भाव से नाता जोड़ लेता है।
क्यों घटता आँचल,माँ के आँचल से होड़ लेता है?
प्रिया प्रिंसेस पवाँर
Priya princess panwar
स्वरचित,मौलिक
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