Sahityapedia
Login Create Account
Home
Search
Dashboard
Notifications
Settings
22 Feb 2024 · 1 min read

विषय:मैं आज़ाद हूँ।

विषय:मैं आज़ाद हूँ।
शीर्षक:क्या मैं आज़ाद हूँ?
विद्या:कविता।

मैं आजाद हूँ,ऐसा मैंने रोज सुना।
सुनकर ऐसा मैंने,
न जाने कितने,सपनों को बुना।

पर न मिली कोई ख़ुशी,
न कोई स्वप्न सम्पूर्ण हुआ।
जीवन में तय किया जो लक्ष्य,
न अब तक पूर्ण हुआ।

आजादी,आजाद जैसे शब्द,बस शब्द ही रह गए।
आजादी की चाह में हम,
पिंजरे में बंद रह गए।

पिंजरा कोई मर्यादा का,
कोई शर्म का मिला।
कोई कर्तव्य का पिंजरा,
कोई धर्म का मिला।

कभी नारी होने का बंधन।
कभी रोती आँखें,
कभी छटपटाता मन।

कैद में रखकर मुझे,
आजादी का नाम देते हो।
जिंदगी का नाम बताकर,
मौत की ही शाम देते हो।

जब न कोई राह मेरी।
जब न कोई चाह मेरी।
बस दर्द ही मेरे हिस्से,
हर एक आह मेरी।
तब कैसी,मैं आज़ाद हूँ?
है कैसी,आज़ादी की राह मेरी?

मैं एक मूक संवाद हूँ।
जब कैद मेरा अस्तित्व,
तब क्या मैं आजाद हूँ?

प्रिया प्रिंसेस पवाँर
Priya princess Panwar
स्वरचित,मौलिक
द्वारका मोड़,नई दिल्ली-78
C R

2 Likes · 42 Views
📢 Stay Updated with Sahityapedia!
Join our official announcements group on WhatsApp to receive all the major updates from Sahityapedia directly on your phone.
You may also like:
हमारा दिल।
हमारा दिल।
Taj Mohammad
मेरा दिल अंदर तक सहम गया..!!
मेरा दिल अंदर तक सहम गया..!!
Ravi Betulwala
मैं ज़िंदगी के सफर मे बंजारा हो गया हूँ
मैं ज़िंदगी के सफर मे बंजारा हो गया हूँ
Bhupendra Rawat
वाणी से उबल रहा पाणि
वाणी से उबल रहा पाणि
तारकेश्‍वर प्रसाद तरुण
इस दिल बस इतना ही इंतकाम रहे,
इस दिल बस इतना ही इंतकाम रहे,
डॉ. शशांक शर्मा "रईस"
"शाम भी गुजर गई"
ठाकुर प्रतापसिंह "राणाजी"
तुम्हीं मेरा रस्ता
तुम्हीं मेरा रस्ता
Monika Arora
"आईना"
Dr. Kishan tandon kranti
जिंदगी न जाने किस राह में खडी हो गयीं
जिंदगी न जाने किस राह में खडी हो गयीं
Sonu sugandh
ग़ज़ल
ग़ज़ल
डॉ सगीर अहमद सिद्दीकी Dr SAGHEER AHMAD
मैं मगर अपनी जिंदगी को, ऐसे जीता रहा
मैं मगर अपनी जिंदगी को, ऐसे जीता रहा
gurudeenverma198
धन्य हैं वो बेटे जिसे माँ-बाप का भरपूर प्यार मिलता है । कुछ
धन्य हैं वो बेटे जिसे माँ-बाप का भरपूर प्यार मिलता है । कुछ
Dr. Man Mohan Krishna
अंधेरा छाया
अंधेरा छाया
Neeraj Mishra " नीर "
क्या बुरा है जिन्दगी में,चल तो रही हैं ।
क्या बुरा है जिन्दगी में,चल तो रही हैं ।
Ashwini sharma
ज़िंदगानी
ज़िंदगानी
Shyam Sundar Subramanian
Irritable Bowel Syndrome
Irritable Bowel Syndrome
Tushar Jagawat
हम अभी
हम अभी
Dr fauzia Naseem shad
दोहे
दोहे
अशोक कुमार ढोरिया
सुख दुःख मनुष्य का मानस पुत्र।
सुख दुःख मनुष्य का मानस पुत्र।
लक्ष्मी सिंह
रावण का परामर्श
रावण का परामर्श
Dr. Harvinder Singh Bakshi
कविता
कविता
Sushila joshi
एडमिन क हाथ मे हमर सांस क डोरि अटकल अछि  ...फेर सेंसर ..
एडमिन क हाथ मे हमर सांस क डोरि अटकल अछि ...फेर सेंसर .."पद्
DrLakshman Jha Parimal
एक किस्सा तो आम अब भी है,
एक किस्सा तो आम अब भी है,
*प्रणय प्रभात*
तुम भी पत्थर
तुम भी पत्थर
shabina. Naaz
लड़के हमेशा खड़े रहे
लड़के हमेशा खड़े रहे
पूर्वार्थ
*कभी बरसात है (घनाक्षरी)*
*कभी बरसात है (घनाक्षरी)*
Ravi Prakash
आखिर कब तक
आखिर कब तक
Dinesh Yadav (दिनेश यादव)
ग़ज़ल
ग़ज़ल
Neelofar Khan
बाबुल का आंगन
बाबुल का आंगन
Mukesh Kumar Sonkar
काश ! लोग यह समझ पाते कि रिश्ते मनःस्थिति के ख्याल रखने हेतु
काश ! लोग यह समझ पाते कि रिश्ते मनःस्थिति के ख्याल रखने हेतु
मिथलेश सिंह"मिलिंद"
Loading...