*विश्व योग का दिन पावन, इक्कीस जून को आता(गीत)*
विश्व योग का दिन पावन, इक्कीस जून को आता(गीत)
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विश्व योग का दिन पावन, इक्कीस जून को आता
(1)
दुनिया के जब देश एक सौ, सतहत्तर मिल पाए
तब जाकर संयुक्त राष्ट्र से, दिवस मान्यता लाए
साँसें होतीं शुद्ध योग से, निराकार में जाते
अगर न होते ऋषि महानतम, ज्ञान न हर्गिज पाते
दो हजार पन्द्रह से इसका, जुड़ा विश्व से नाता
(2)
यह रहस्य का एक खजाना, है शरीर-जग जानो
यह रहस्य का द्वार योग से, खुलता जन पहचानो
नियम और यम के पथ पर जन, जो भी चलना सीखे
ध्यान योग में निराकार को, पाते वह ही दीखे
स्वस्थ देह-मन में ऊर्जा का, यह संचार कराता
(3)
घर में करें योग अथवा, आश्रम-जंगल में जाऍं
मिलन सहज है निराकार से, मनुज योग से पाऍं
शुभ आहार-विहार जीव को, प्रभु तक ले-ले जाते
अतिशयता से मुक्त मार्ग, मध्यम साधक प्रभु पाते
आसन-प्राणायाम शक्ति, तन-मन की नित्य बढ़ाता
विश्व योग का दिन पावन इक्कीस जून को आता
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रचयिता : रवि प्रकाश
बाजार सर्राफा ,रामपुर (उत्तर प्रदेश)
मोबाइल 99976 15451