विश्व में माँ भारती अप्रतिम धरा
फूल टेसू के खिले हैं हो रही अरुणिम धरा
सज रहे हैं रंग होली के, हुई मधुरिम धरा
भस्म कर दो होलिका में,आज सारी नफरतें
बाँटिये मतहै न हिंदू, है नहीं मुस्लिम धरा
जाने कितनी सभ्यताएँ, है समाये कोख में
है कहीं पूरब तो होती है कहीं पश्चिम धरा
पालती है पोषती है एक सा सबको यहाँ
इसलिए तो पूज्य है संसार में अग्रिम धरा
हैं अनेकानेक संस्कृतियाँ फली फूली यहाँ
इसलिए है विश्व में माँ भारती अप्रतिम धरा