विश्वास
ह्रदय में जगे वो आस ,जिसकी हंमे है तलाश ,,
ह्दय में अद्श्य रहते , जो हरि का निवास ।
हरि का निवास ,वो है सच्चा विश्वास ।
चलती यकीन की डोर पर दुनिया , मन की चंचलता में बसी वो मुनिया ।
डोर की लचकता न हो ,मन का विश्वास कमजोर ना हो ।
जब यकीन की मोती टूट जाए, तो संवारना मुश्किल हो जाए ।
तरु की झुकी डालियों पर लाल लाल पलाश ,
जो धरती की भरोसा मन्द
गुलाबी मुस्कराहट ।
न लाओ कभी भी ऐसा मौका,
जो विश्वास का न हो धोखा ।
रिश्ते में ऐसा रस घोलो ,मन का दरवाजा विश्वास से खोलो ।
जिस मन में सोंदर्य की हवा चले , वहां विश्वास की हौसले की उड़ान चले ।
जिस दिन यकीन का साथ छूटेगा ,उस दिन उड़ती धूल को हवा का ताज टूटेगा ।
प्रवीण भी कहे यह विश्वास रहे सदा ,जो ह्रदय में करे हमेशा वादा ।
✍प्रवीण शर्मा ताल
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