विश्वास
एक बार की बात है कि हम सायं के समय में गांव में टहल रहे थे, तभी एक महिला ने मुझे पुकारा और अपने द्वार पर बैठाया। उसके बाद कुछ अपने दुख दर्द जो था वह कहने लगी। उनको विश्वास था कि हम पढ़े लिखे हैं तो जरूर कुछ अच्छी सुझाव देंगे और उस सुझाव से उनको कुछ फायदा होगा। इस विश्वास से उन्होंने मुझे पुकारा, अपने द्वार पर बैठाया और अपनी सारी बातें हमें बताई। बातें यह थी कि उनके पुत्र का शादी हुए 5 वर्षों से ऊपर हो गया था और उनकी बहू को कोई भी संतान की प्राप्ति नहीं हुई थी, जिसकी वजह से वह बहुत परेशान थी और अपने पुत्र एवं बहू को कई डॉक्टरों के पास इलाज करा चुकी थी, उसके बाद भी उनको कहीं से संतुष्टि प्राप्त नहीं हुई। कई जगह झाड़-फूंक भी करा चुकी थी, कई देवी-देवताओं के स्थान पर भी गई थी।
अंततः मेरे से अपने दुःख को केवल यह समझ कर कहने लगी कि हम पढ़े लिखे हैं तो अच्छे सुझाव जरूर देंगे और उस सुझाव से उनको लाभ प्राप्त होगा। इस बात को जब उन्होंने हमसे कहीं तो हम उन्हें एक देवी स्थान पर जाने की सुझाव दी और बोले कि आप बहुत सारे देवी-देवताओं के स्थान पर तो गई है, बहुत सारे डॉक्टर से भी इलाज करा चुकी है, झाड़-फूंक तो हुआ ही हैं पर आपको सफलता कहीं नहीं हुआ है। आज हम जहां कह रहे हैं वहां आप एक-दो दिन में जाइए और मन में कुछ भी सूचिएगा विचारीएगा मत, सिर्फ जाइएगा और जैसे नित्य दिन भगवान की प्रार्थना किया जाता है, वैसे ही कर लीजिएगा और वहां के जो भी फूल अक्षत होंगे, उसे प्रसाद रूप में लेकर के, मां के नाम लेकर के, ग्रहण कीजिएगा और पानी पी लीजिएगा लेकिन ध्यान रहे कि आप अपने मन से सारी बातें भूल जाना और इतना याद रखना कि मैंने जो कहा है, उस पर अटूट विश्वास बनाए रखना। मन में थोड़ा सा भी इधर-उधर की बात मत चलाना।
अब हम तो पढ़े लिखे थे और उसी बात को कर डाले थे, जिस बात से, जिस परिस्थिति से वह सारी गुजर चुकी थी। फिर भी फायदा नहीं हुआ था लेकिन पढ़े-लिखे होने के नाते हम जो सुझाव दिए, उस सुझाव पर अमल की और उस देवी स्थान पर गई जैसे मैंने कहा वैसे सारी प्रक्रिया करते हुए अपने घर आई।
जब दो-तीन माह बीता, तो मुझे मिठाई खिलाने पहुंची। मैंने समझा कि शायद उनके पुत्र बीच में बाहर गए थे, आए होंगे, उसी के प्रसाद है लेकिन वह अंदर से इतना खुश थी, पूछिए मत! और वह कहने लगी कि हमने तो बहुत सारे देवी-देवताओं पर माथा टेके थे, पर जो आपने बातें बताई, जो विश्वास की माला गढ़ी, वही विश्वास हमको कहीं नहीं हो रहा था लेकिन आपने जैसे ही कहा और उस पर मैंने विश्वास किया, आज हमारी बहू गर्भवती है और उसी के खुशी में हम प्रसाद आपको खिला रहे है।
मुझे भी इस बात विश्वास नहीं था कि मैंने जो कहा है, उस प्रक्रिया से उनको लाभ प्राप्त होगा, पर मेरे दिल के अंदर अचानक वह बात आई, मैंने कहा और उस बात को उन्होंने विश्वास पूर्वक निभाई और आज उसकी विश्वास सफल रहा।
यह सारी बातें विश्वास के ऊपर निर्भर करती है कि आप किस चीज में कितनी विश्वसनीयता रखते हैं और उस पर कितनी अपना आस्था जमाते हैं। जिस दिन आप अपना विश्वास पर अमल हो जाइएगा। उस दिन आपको हर चीज, हर समय पर प्राप्त हो जाएगा। बशर्ते आपकी विश्वास में कोई कमी न हो।
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लेखक : जय लगन कुमार हैप्पी
बेतिया, बिहार।