Sahityapedia
Sign in
Home
Search
Dashboard
Notifications
Settings
31 Mar 2020 · 1 min read

विश्वास सदा विजयी होता है

विश्व के अंतहीन
जनशून्य परिपथ में
मंगल और अमंगल के मध्य
तीव्र वेग से संचलित होता
नि:शब्द , सारथी रहित एक रथ ।
सारथी का न होना
इंगितीकरण है किसी घोर अनिष्ट का
और उस स्वछंद रथ का ,
जो अपनी सीमा से परे
महाविपदा को , समूचे विश्व को
परोसने के लिए आतुर हुआ जा रहा है ।
चहुंओर व्याप्त है
रथ का हृदयविदारक घरघर करता नाद ।
इस सबके बीच
अमंगल की सरसराहट
अदृश्य रथ के
पहियों तले चरमराती मानवता
अस्तित्व को बचाने में रत
प्रयासों की झड़ी लगाता मानव ।
मानव आशान्वित है ,
अपने प्रयासों से
रोक लेगा वह
उस अदृश्य विनाशकारी रथ की गति ।
और फिर
विजय होगी मानव की ।
विजय होगी उसके अथक प्रयास की ।
विजय होगी उसके वेदना से भरे मन की ।
मंगल और अमंगल के मध्य
फिर मंगल होगा ।
मंगल उस जन का ,
मंगल उस मन का ,
मन जो बंदी हुआ-सा
मन जो सहमा-सा
ओट में बैठा ताक रहा है
अनकही पीड़ा लिए ,
कि रोक लेगा वह
उस विनाशक रथ की गति को
अपने दृढ़ निश्चय, संकल्प और विश्वास से ।
और
विश्वास सदा विजयी होता है ।

अशोक सोनी
भिलाई

Language: Hindi
2 Comments · 390 Views

You may also like these posts

मेरी कलम
मेरी कलम
Shekhar Chandra Mitra
****स्वप्न सुनहरे****
****स्वप्न सुनहरे****
Kavita Chouhan
दौड़ना शुरू करोगे तो कुछ मिल जायेगा, ठहर जाओगे तो मिलाने वाल
दौड़ना शुरू करोगे तो कुछ मिल जायेगा, ठहर जाओगे तो मिलाने वाल
Ravikesh Jha
इंसान चाहे कितना ही आम हो..!!
इंसान चाहे कितना ही आम हो..!!
शेखर सिंह
जरूरी बहुत
जरूरी बहुत
surenderpal vaidya
हो गए दूर क्यों, अब हमसे तुम
हो गए दूर क्यों, अब हमसे तुम
gurudeenverma198
मै बेरोजगारी पर सवार हु
मै बेरोजगारी पर सवार हु
भरत कुमार सोलंकी
अनोखा बंधन...... एक सोच
अनोखा बंधन...... एक सोच
Neeraj Agarwal
तस्वीर तुम्हारी देखी तो
तस्वीर तुम्हारी देखी तो
VINOD CHAUHAN
नश्वर तन को मानता,
नश्वर तन को मानता,
sushil sarna
युवा है हम
युवा है हम
Pratibha Pandey
ख़त
ख़त
Kanchan Advaita
रिश्ते
रिश्ते
Ashwani Kumar Jaiswal
इशारा नहीं होता
इशारा नहीं होता
Neelam Sharma
देखा तुम्हें सामने
देखा तुम्हें सामने
Harminder Kaur
*आदत*
*आदत*
DR ARUN KUMAR SHASTRI
हर एक मंजिल का अपना कहर निकला
हर एक मंजिल का अपना कहर निकला
कवि दीपक बवेजा
सशक्त रचनाएँ न किसी
सशक्त रचनाएँ न किसी "लाइक" से धन्य होती हैं, न "कॉमेंट" से क
*प्रणय*
सवैया
सवैया
Rambali Mishra
माता - पिता
माता - पिता
Umender kumar
*वो मेरी मांँ है*
*वो मेरी मांँ है*
Dushyant Kumar
घर
घर
Dr. Bharati Varma Bourai
"डार्विन ने लिखा था"
Dr. Kishan tandon kranti
मोहब्बत का मेरी, उसने यूं भरोसा कर लिया।
मोहब्बत का मेरी, उसने यूं भरोसा कर लिया।
इ. प्रेम नवोदयन
वैवाहिक चादर!
वैवाहिक चादर!
कविता झा ‘गीत’
अनुपम पल्लव प्रेम का
अनुपम पल्लव प्रेम का
ओम प्रकाश श्रीवास्तव
4171.💐 *पूर्णिका* 💐
4171.💐 *पूर्णिका* 💐
Dr.Khedu Bharti
फिर एक समस्या
फिर एक समस्या
A🇨🇭maanush
दायरे में शक के ......
दायरे में शक के ......
sushil yadav
🥀*✍अज्ञानी की*🥀
🥀*✍अज्ञानी की*🥀
जूनियर झनक कैलाश अज्ञानी झाँसी
Loading...